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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 22 
सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी को बहस आगे बढ़ाने के लिए जज साहब ने कह दिया था । त्रिपाठी जी आगे की बहस करते हुए कहने लगे 

"सर, 31 मई की रात का लगभग 12 बजे का समय रहा होगा जब अनुपमा बाथरूम चली गई थी और अक्षत पलंग पर लेटा हुआ था । अचानक एक व्यक्ति ने उस कमरे में प्रवेश किया । अक्षत जब तक कुछ समझ पाता उससे पहले ही उस व्यक्ति ने अक्षत पर चाकू से हमला कर दिया । अक्षत वह वार बचा गया । हमलावर अपना वार चूकने से बौखला गया और वह अक्षत पर ताबड़तोड़ वार करने लगा । अक्षत अपनी जान बचाने के लिए पहले तो इधर उधर भागता रहा लेकिन हमलावर के सिर पर तो खून सवार था इसलिए वह लगातार उस पर आक्रमण किये जा रहा था । अक्षत के पास उससे भिड़ने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था इसलिए वह उससे भिड़ गया । दोनों जने गुत्थमगत्था हो गये । लड़ते लड़ते वे दोनों बैडरूम से लिविंग रूम में आ गये । इस हाथापाई में हमलावर का चाकू हाथ से छूटकर लिविंग रूम में गिर पड़ा । 

इतने में अनुपमा बाथरूम से निकली तो उसने उन दोनों को लड़ते हुए देखा । इस दृश्य को देखकर वह घबरा गई । हमलावर अक्षत पर भारी पड़ रहा था । अनुपमा के सामने हमलावर का चाकू गिरा पड़ा था । उसने आव देखा ना ताव और लपक कर चाकू उठा लिया । उसने उस चाकू से उस हमलावर पर ताबड़तोड़ वार करने प्रारंभ कर दिये और वह तब तक वार करती रही जब तक कि वह हमलावर मर नहीं गया । जब हमलावर निश्चेष्ट हो गया तब जाकर वह रुकी और उसने चाकू वहीं पर फेंक दिया । ये फोटोग्राफ इस बात की तस्दीक करते हैं कि हमलावर यानि की राहुल जो एक सुपारी किलर था और जिसे सक्षम ने अक्षत और अनुपमा की हत्या करने के लिए हायर किया था की हत्या चाकुओं से गोदने के कारण हुई थी । यह पोस्ट मार्टम रिपोर्ट है जिसमें साफ साफ लिखा है कि अत्यधिक खून बहने के कारण राहुल की मौत हुई थी । उसके शरीर पर चाकू के 12 घाव पाये गये हैं । लाश की शिनाख्त राहुल की पत्नी रीमा देवी ने की थी जिसका यह दस्तावेज है" । सरकारी वकील ने वह कागज जज साहब को देते हुए कहा । 

जब त्रिपाठी ने अदालत को राहुल के कत्ल का आंखों देखा हाल सुनाया तो अदालत में उपस्थित सभी लोग स्तब्ध रह गए । वे लोग अब तक अनुपमा को केवल चरित्रहीन ही समझ रहे थे लेकिन वह तो हत्यारिन भी निकली । लोगों ने अनुपमा को हिकारत भरी नजरों से देखा । सबके चेहरों पर अनुपमा के लिए घृणा के भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे । 

नीलमणी त्रिपाठी अपनी सफलता पर आत्म मुग्ध था । उसके चेहरे से नूर टपक रहा था । लोगों के चेहरों के भाव देखकर उसे और भी अधिक जोश आ गया था । जब कोई कथावाचक अपने श्रोताओं को अपने कथावाचन की लय से अपनी रौ में बहा ले जाता है तब उसे कथा बांचने में और भी अधिक आनंद आता है । कुछ कुछ ऐसा ही हाल नीलमणी त्रिपाठी का हो रहा था । "कथा" बांचने का उसका अंदाज सबसे जुदा था । 

नीलमणी त्रिपाठी ने आगे कहना शुरू किया "मी लॉर्ड, अनुपमा के इस कृत्य से अक्षत अचंभित रह गया । उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि अनुपमा ऐसा कर सकती है ? लोग औरत को सिर्फ "अबला" समझ कर उसे एक कमजोर और असहाय प्राणी मान लेते हैं लेकिन जब कोई स्त्री अपने सामने अपने बच्चे या अपने पति / प्रेमी की जान संकट में देखती है तो वह हिंसक हो जाती है । पता नहीं उसमें इतनी ताकत कहां से आ जाती है कि वह अपने बच्चे या प्रेमी को बचाने के लिए किसी से भी भिड़ जाती है । औरत का यही रूप दुर्गा अवतार कहलाता है । हर औरत एक दुर्गा ही है और वह जब रौद्र रूप धारण करती है तो उससे बच पाना संभव नहीं है । अनुपमा के उस रौद्र रूप का सामना राहुल कैसे कर सकता था ? आखिर उसे अपनी जान गंवानी ही पड़ी । माना कि यह कत्ल अक्षत की जान बचाने के लिए किया गया था लेकिन कत्ल तो कत्ल है । उस कत्ल के कारण राहुल की पत्नी श्रीमती रीमा देवी विधवा हो गई और उसके बच्चे अनाथ हो गये । किसी को भी किसी की जान लेने का कोई अधिकार नहीं है मगर अनुपमा ने राहुल की जान ले ली इसलिए भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत इसे फांसी की सजा दी जानी चाहिए" । 

फांसी की सजा की मांग सुनते ही अनुपमा फफक फफक कर रो पड़ी । उसका दुर्भाग्य देखिये कि उसके सामने उसका पति और प्रेमी दोनों खड़े थे मगर उसके आंसू अनाथों की तरह उसके गालों से होते हुए लुढ़कते रहे और दोनों में से कोई भी आदमी उसके आंसू पोंछने आगे नहीं आया । वह न अपने पति की रही और न प्रेमी की हो सकी । दो नावों की सवारी करने वालों का अंजाम ऐसा ही होता है । वह न घर का रहता है न घाट का । सब लोग इस दृश्य को देखते रहे । वह असहाय होकर कटघरे का सहारा लेकर वहीं फर्श पर बैठ गई । समय बड़ा बलवान होता है । अनुपमा जैसी सुंदर स्त्री के लिए महलों का ऐश्वर्य भी बहुत तुच्छ प्रतीत होता है , लेकिन उसे अदालत की गंदी सी फर्श पर ही बैठना पड़ रहा था । 

नीलमणी त्रिपाठी ने बहस में आगे कहना प्रारंभ किया "योर ऑनर, अपने सामने एक हत्या देखकर अक्षत बहुत घबरा गया था । हत्या करने के पश्चात अनुपमा बदहवास होकर अक्षत से बुरी तरह से लिपट गई और जोर जोर से रोने लगी 

बड़ी मुश्किल से अक्षत ने अनुपमा को शांत किया और सोचने लगा कि अब इस आफत (लाश) से कैसे छुटकारा पाया जाये लेकिन उसे कोई आइडिया नहीं आया । अक्षत को पता था कि अनुपमा ने राहुल की हत्या की है इसलिए कभी न कभी उसे गिरफ्तार कर ही लिया जायेगा । वह अनुपमा को जेल जाते हुए कैसे देख सकता था ? वह एक सच्चा प्रेमी था इसलिए उसने यह "खून" अपने ऊपर लेने के लिए एक उपाय सोचा । उसने सोचा कि यदि इस चाकू को वह अपने कमरे में छुपा दे तो बाद में पुलिस उस चाकू को उसके कमरे से बरामद करेगी और उसे ही हत्यारा करार दे दिया जाएगा । इस तरह वह अपने प्रेम और अपनी प्रेमिका दोनों को बचा सकेगा । उसने अनुपमा का अपराध अपने ऊपर लेने के लिए वह चाकू अपने बैड के नीचे छुपाने की योजना बना ली । इन फोटोग्राफ में आप देख सकते हैं कि लिविंग रूम से अक्षत के कमरे तक खून के निशान जाते हुए दिख रहे हैं । पुलिस की बरामदगी की रिपोर्ट में यह चाकू अक्षत के कमरे से ही बरामद हुआ है । 

तब तक दोनों के कपड़े खून में सने हुए थे जिन्हें नष्ट करना बहुत जरूरी था । अनुपमा और अक्षत ने खून के सबूत मिटाने के बारे में सोचा । दोनों के कपड़े खून से सन गये थे इसलिए या तो उन्हें जलाया जाता या उन्हें धोया जाता । उन्होंने उन कपड़ों को धोने का निश्चय किया । इससे स्पष्ट है कि अक्षत और अनुपमा ने सबूतों के साथ छेडछाड की थी और उन्हें नष्ट करने का प्रयास भी किया था । अनुपमा ने स्वयं के एवं अक्षत के खून से सने कपड़े बाथरूम में धोये और उन्हें ऊपर छत पर बंधे तार पर सुखा दिया । इन फोटोग्राफ्स में वे कपड़े तार पर सूखते हुए नजर आ रहे हैं । 

इसके बाद उन्होंने लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई मगर वे डर के मारे कोई निर्णय नहीं ले सके । तब अनुपमा को ध्यान में आया कि वह तो घोषित तौर पर चंडीगढ में है इसलिए वह चंडीगढ जा सकती है । तब दोनों ने वहां से भागने का प्लान बना लिया । अनुपमा टैक्सी से सीधे चंडीगढ एयरपोर्ट आ गई और दिल्ली वाली फ्लाइट से फिर से दिल्ली आ गई । उसने फ्लाइट में जानबूझकर एक फोटो "अनुपमा" धारावाहिक की नायिका रूपाली गांगुली और एयरहोस्टेस के साथ ली जिससे वह यह बता सके कि वह उस दिन उस फ्लाइट से दिल्ली आई थी । उस दिन महान सेलिब्रिटी रूपाली गांगुली जी भी उसी फ्लाइट से सफर कर रही थीं और सब लोग उनके साथ सेल्फी ले रहे थे" । त्रिपाठी ने वे फोटोग्राफ अदालत के समक्ष पेश करते हुए कहा । 

अदालत ने त्रिपाठी द्वारा प्रस्तुत सभी फोटोग्राफ, दस्तावेज और वीडियो वगैरह हीरेन को देखने के लिए दे दिये जिससे वह अपने मुवक्किलों के बचाव के लिए कोई पॉइन्ट ढूंढ सके । 

नीलमणी त्रिपाठी ने बहस चालू रखी और कहा "अब प्रश्न यह उठता है कि राहुल उस घर में कैसे घुसा ? उसने दरवाजा कैसे खोला ? यह बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न है मी लॉर्ड ! राहुल को अपने ही घर में घुसाने वाला कोई और नहीं, सक्षम ही था । एक चाबी उसके पास रहती थी इसलिए उसने अपने घर का ताला खोला और पहले राहुल को घर के अंदर भेज दिया और बाद में वह खुद भी अंदर आ गया । वह दूर से एक खंभे के पीछे छुपकर सारी गतिविधियां देख रहा था । उसने राहुल को अपनी आंखों के सामने मरते हुए देखा । उसकी योजना उलटी पड़ गई थी यह उसने नहीं सोचा था । अनुपमा का वह रौद्र रूप देखकर सक्षम की जैसे जान निकल गई थी । मगर वह वहीं पर दम साधकर चुपचाप खड़ा रहा और सारी गतिवाधि देखता रहा । इसके अतिरिक्त वह और कुछ कर भी नहीं सकता था । 

अनुपमा और अक्षत के वहां से भाग जाने के बाद सक्षम को याद आया कि घर में राहुल की लाश पड़ी हुई है । जैसे ही पुलिस को पता चलेगा वैसे ही वह राहुल को पहचान जाएगी कि राहुल एक सुपारी किलर है और पुलिस इस ऐंगल से जांच करेगी कि राहुल को किसने हायर किया था । इससे उसका भाण्डा फूट जाएगा और पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेगी । उसने सोचा कि यदि लाश का चेहरा बिगाड़ दिया जाए तो वह पहचान में नहीं आएगी और यह मान लिया जाएगा कि कोई चोर चोरी करने आया था । लोग जाग गये और उसे पकड़ने के चक्कर में वह मर गया । इसलिए वह लाश का चेहरा बिगाड़ने उधर गया । घर में अंधेरा था इसलिए वह लाश से ठोकर खाकर गिर पड़ा । फर्श पर बिखरे खून और लाश के खून से उसके कपड़ों पर खून लग गया था । वह किचिन में गया और एक चॉपर ले आया । उसने लाश के चेहरे पर चॉपर से इतने प्रहार किये कि लाश का चेहरा विकृत हो गया । तब उसने अपनी समस्त वार्डरोबों में से कपड़े निकाल कर इधर उधर बिखरा दिये । फिर उसने लॉकर खोला और सारा कीमती सामान उसमें से निकाल लिया और अपने पास रख लिया । उसके बाद वह बाथरूम गया और उसने अपने खून में सने कपड़े धोये तथा बाहर बॉलकनी में सुखा दिए । फिर उसने दूसरे कपड़े पहने और घर बंद कर गहनों , चॉपर सहित बाहर आ गया । 

पर कहते हैं कि आदमी सोचता कुछ और है और होता कुछ और है । भगवान को कुछ और ही मंजूर था । सक्षम को पता नहीं था कि राहुल और अक्षत में हाथापाई होने के कारण राहुल का आधार कार्ड वहां पर गिर गया है और राहुल की पहचान उससे उजागर हो जाएगी । यदि उसे यह पता होता तो वह लाश का चेहरा विकृत क्यों करता ? बस, उससे यहीं पर ये चूक हो गई । यदि उसे पता होता कि राहुल का आधार कार्ड वहां पर गिर गया है तो वह उसे उठा लेता और अपने साथ ले जाता । फिर राहुल की पहचान नहीं हो पाती और यह राज हमेशा के लिए राज ही बना रहता । पर होनी को जो मंजूर होता है वही होकर रहता है । 

इस केस को सॉल्व करने में जितनी मेहनत थानेदार मंगल सिंह ने की है वह काबिले तारीफ है । सिर्फ एक महीने में उसने यह केस सॉल्व कर एक मिसाल कायम की है जिसके लिए उसे पुलिस विभाग ने पुरस्कृत भी किया है । यह प्रमाण पत्र उसकी सफलता की कहानी खुद कह रहा है । अत: निवेदन है कि इन तीनों व्यक्तियों को कानून के अन्तर्गत अधिकतम दंड से दंडित किया जाना चाहिए जिससे लोगों में अपराध करने की प्रवृति पैदा नहीं हो । दैट्स ऑल मी लॉर्ड" । इतना कहकर सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी ने अपनी बहस समाप्त कर दी । 

श्री हरि 
17.6.2023 

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13 Comments

वानी

06-Jul-2023 06:11 PM

Beautiful

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Abhilasha Deshpande

04-Jul-2023 07:37 PM

Very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:48 AM

💐💐🙏🙏

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RISHITA

04-Jul-2023 07:14 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:48 AM

💐💐🙏🙏

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